Thursday, March 28, 2024
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घटती आबादी बन रही इन देशों के लिए बड़ी समस्या, जानें क्या हो सकती है चुनौती?

घटती आबादी उस देश के लिए कई तरह की चुनौतियां पैदा करती है. कई पश्चिमी देश घटती आबादी के असर से जूझ रहे हैं. जानिए, किसी देश पर जनसंख्या घटने का क्या असर पड़ता है और दुनिया के कौन से देश इससे जूझ रहे हैं.

Population Impacts: दुनिया के देशों को घटती आबादी देती है बड़ी टेंशन, जानिए ये कैसे परेशानियां बढ़ाती है
भारत दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन गया है. संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आबादी बढ़कर 142.86 करोड़ पहुंच गई और चीन 142.57 करोड़ जनसंख्या के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. किसी भी देश में बढ़ती हुई जनसंख्या के अपने फायदे और नुकसान हैं. बढ़ती जनसंख्या भोजन, रहने की जगह, मेडिकल फेसिलिटीज समेत कई तरह की चुनौतियां बढ़ाती है, लेकिन घटती आबादी भी बहुत राहत नहीं पहुंचाती.

घटती आबादी उस देश के लिए कई तरह की चुनौतियां पैदा करती है. कई पश्चिम देश घटती आबादी के असर से जूझ रहे हैं. जानिए, किसी देश पर जनसंख्या घटने का क्या असर पड़ता है और दुनिया के कौन से देश इससे जूझ रहे हैं.

5 पॉइंट में समझें आबादी घटने का असर
कमजोर होती सेना: अधिक आबादी वाले देश में सेना ज्यादा मजबूत होती है. ऐसे ज्यादातर देशों की सैन्य क्षमता अधिक होती है. जिस तरह चीन, भारत और अमेरिका आबादी के मामले सबसे आगे हैं. उसी तरह इन दुनिया में सबसे बड़ी आर्मी इन्हीं देशों की है. घटती और बुजुर्ग होती आबादी का सीधा असर उस देश की सेना पर पड़ता है. सेना की ताकत घटने से दुश्मन देश को मजबूती मिलती है.

इनोवेशन-अर्थव्यवस्था में पिछड़ता देश: आबादी घटने का सीधा मतलब है कि उस देश में युवाओं कामगारों और कारोबारियों की संख्या घट रही है. इससे देश में नई खोज और नई सुविधाओं का दायरा घटता है. कामगारों की संख्या घटने से सीधा असर उस देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है. जो बढ़ती महंगाई के रूप में दिखती है. जब भी मंदी का असर दिखना शुरू होता है तो उन मुल्कों पर सबसे पहले इसका प्रभाव नजर आता है जहां जनसंख्या घट रही है.

बेरोजगारी: आबादी ज्यादा से ज्यादा बढ़े या जरूरत से ज्यादा घटे, दोनों ही मामलों का असर बेरोजगारी के रूप में दिखता है. आबादी बढ़ती है तो किसी भी देश में मौजूद रोजगार के लिए चुनौतियां बढ़ती हैं. ठीक उसी तरह से अगर किसी देश में आबादी घट रही है तो इसका मतलब है, वहां नई आबादी के पैदा होने की दर तेजी से घटी है. नतीजा, वहां की ज्यादातर आबादी बूढ़ी है. यहां पर युवा आबादी या युवा आंत्रप्रेन्योर घटने पर रोजगार के मौके भी घटते जाते हैं. इस तरह पहले से मौजूद आबादी बेरोजगार होती चली जाती है या उसे दूसरे देश की तरफ रुख करना पड़ता है.

घटता सरकारी खजाना: जापान और चीन समेत कई ऐसे देश हैं जहां बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ी है. इसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है. बुजुर्ग होती आबादी के लिए सरकार को अतिरिक्त फंडिंग की जरूरत होती है जिससे रिटायरमेंट समेत कई योजनाएं चलानी पड़ती हैं. इतना ही नहीं, इसका असर मेडिकल सेक्टर पर भी पड़ता है और अतिरिक्त पैसा खर्च करना पड़ता है.

सुविधाओं में कमी: जैसे-जैसे नई आबादी घटती है और पुरानी बढ़ती है, तो सीधा असर वहां की सुविधाओं पर पड़ता है. इनमें कमी आनी शुरू हो जाती है. खासकर बुजुर्गों की आबादी वाले क्षेत्रों में स्थानीय सुविधाएं घटने लगती हैं और उनके लिए दिक्कतें बढ़नी शुरू हो जाती हैं.

किन देशों में घट रही आबादी?

आबादी के मामले में भारत, चीन, USA और इंडोनेशिया जैसे देश रिकॉर्ड बना रहे हैं, लेकिन कई मुल्क भी हैं जहां जनसंख्या तेजी से घट रही है. जिन देशों में सबसे ज्यादा जनसंख्या घट रही है उसमें सबसे ज्यादा यूरोपीय देश हैं.

इसकी एक वजह रूसी हमले भी रहे हैं. यूक्रेन, पोलैंड, रोमानिया और ग्रीस में तेजी से बढ़ी जनसंख्या घटी है. इसके अलावा यूरोपीय देशों में गिरता फर्टिलिटी रेट भी जनसंख्या के कम होने की वजह है.

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय देशों में फर्टिलिटी रेट प्रति महिला 1.2 से 1.6 के बीच है. रिपोर्ट कहती है, जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए फर्टिलिटी रेट 2 से अधिक होना अनिवार्य है.

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